भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी तथा संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतरराष्ट्रीय रूप होगा। भारतीय संविधान की इसी विचारणा को संघ-प्रदेश दादरा व नगर हवेली एवं दमण व दीव में साकार करने, हिंदी भाषा में पठन-पाठन की संस्कृति विकसित करने व हिंदी भाषा व साहित्य में उच्च शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से सन् 1966 में राजकीय महाविद्यालय दमण में हिंदी विभाग की स्थापना हई। हिंदी विभाग संघ-प्रदेश दादरा व नगर हवेली एवं दमण व दीव के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों के विद्यार्थियों को हिंदी भाषा और साहित्य में उच्च शिक्षा प्रदान करता है। विभाग अद्यतन व नवाचारी शिक्षण-प्रविधियों के माध्यम से विद्यार्थियों को न केवल हिंदी भाषा और साहित्य के अध्ययन-अध्यापन द्वारा भारतीय सभ्यता, संस्कृति, दर्शन से रूबरू कराता है बल्कि उन्हें अपने समय और समाज की मौजूदा चुनौतियों के लिए भी तैयार करता है।
विद्यार्थियों में भाषायी, साहित्यिक, सांस्कृतिक, तुलनात्मक व अंतर-अनुशासनिक अध्ययन-दृष्टि का विकास कर विभाग उन्हें हिंदी भाषा और साहित्य में उच्चतर शिक्षा पाठ्यक्रमों (बी.एड., एम.एड., एम.ए., एम.फिल. पीएच.डी., डी.लिट्. आदि) के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करता है। राजभाषा हिंदी के सैद्धांतिक व व्यावहारिक पक्षों से जोड़ते हुए विद्यार्थियों को रचनात्मक लेखन, मीडिया लेखन व अनुवाद लेखन के जरिए खुद को पेशेवर, आत्मनिर्भर व रोजगारोन्न्मुखी बनने के लिए सतत् प्रोत्साहित करना विभाग का मुख्य ध्येय है।
वर्तमान में हिंदी विभाग अठारह स्नातक स्तरीय पाठ्यक्रम संचालित करता है, जिसमें तीन अनिवार्य हिंदी आधार पाठ्यक्रम (फाउंडेशन कोर्स), चार गौण हिंदी पाठ्यक्रम (सब्सिडियरी हिंदी कोर्स) व ग्यारह मुख्य हिंदी पाठ्यक्रम (कोर हिंदी कोर्स) शामिल है।